वाहिद अली वाहिद की वो कविता जिसे देश भर ने याद किया_देश की कविता |
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वाहिद अली वाहिद की वो कविता जिसे, नीरज चोपड़ा केे ओलंपिक मेें गोल्ड जीतने के बाद, देश भर के लोगों ने याद किया गया...! दरअसल जब नीरज चोपड़ा ने इस ओलंपिक में अपना और देेश का पहला स्वर्ण पदक जीतकर जो ऐतिहासिक उप्लब्धि हासिल की, तब हर तरफ नीरज चोपड़ा की तारीफों में हर भारतीय सरीक हुआ; ऐसे में इन तारीफों से निकलकर चार पंक्तियाँ ऐसी थी जो देश भर केे लोगों ने नीरज चोपड़ा के सम्मान में पेश की थी; और वो पंक्तियाँ इस प्रकार थीं - "द्वंद्व कहाँ तक पाला जाए युध्द कहाँ तक टाला जाए तू भी है राणा का वंशज फेंक जहाँ भाला जाए" और ये चार पंक्तियाँ किसी और की नहीं बल्कि हमारे आधुनिक कवियों में शुमार वाहिद अली वाहिद की कविता की पंक्तियाँ हैं; पर अफसोस कि वह अब हमारे बीच नहीं रहे; उनका 20 अप्रैल 2021 को 59 साल की उम्र में देहावसान हो गया था! लेकिन देश भर के लोगों ने उनकी चार पंक्तियों को याद करके ये साबित कर दिया कि शायर कभी मरा नहीं करते! उनकी पूरी कविता इस प्रकार है - "कब तक बोझ संभाला जाए द्वंद्व कहाँ तक पाला जाए दूध छीन बच्चों के मुख से क्यों नागों को पाला जाए दोनों ओर लिखा हो भारत सिक्का वही उछाला जाए तू भी है राणा का वंशज फेंक जहाँ तक भाला जाए इस बिगड़ैल पड़ोसी को तो फिर शीशे में ढाला जाए तेरे मेरे दिल पर ताला राम करें ये ताला जाए वाहिद के घर दीप जले तो मंदिर तलक उजाला जाए!" |