भर दो झोली (Bhar Do Jholi) - HD क़व्वाली वीडियो - कादर खान - सबरी ब्रदर्स |
|
Song : Bhar Do Jholi
Movie: Billa No. 786 (2000) Singers: Sabri Brothers Song Lyricists: Vinay Bihari Music Composer: Luv - Kush Music Director: Luv - Kush Director: Imran Khalid Starring: Mithun Chakraborty, Gajendra Chouhan, Siddharth Dhawan, Mohan Joshi, Kavita, Kader Khan, Anil Nagrath, Harish Patel, Shiva Rindani क़व्वाली (भर दो झोली मेरी या मोहम्मद लौटकर मैं न जाऊँगा खाली) शहे-मदीना सुनो, इल्तिजा खुदा के लिए करम हो मुझ पे हबीबे-खुदा, खुदा के लिए हुज़ूर, गुंचा-ए-उम्मीद अब तो खिल जाए तुम्हारे दर का सवाली हूँ, तो भीक मिल जाए भर दो झोली मेरी या मोहम्मद लौटकर मैं न जाऊँगा खाली तुम्हारे आस्ताने से ज़माना क्या नहीं पाता कोई भी दर से खाली मांगने वाला नहीं जाता भर दो झोली मेरी सरकारे-मदीना भर दो झोली मेरी ताजदारे-मदीना लौटकर मैं न जाऊँगा खाली तुम ज़माने के मुख्तार हो या नबी बेकसों के मददगार हो या नबी सब की सुनते हो अपने हो या गैर हो तुम गरीबों के ग़मख्वार हो या नबी भर दो झोली मेरी सरकारे-मदीना भर दो झोली मेरी ताजदारे-मदीना लौटकर मैं न जाऊँगा खाली हम है रंजो-मुसीबत के मारे हुए सख्त मुश्किल में है ग़म से हारे हुए या नबी कुछ खुदारा हमें भीक दो दर पे आयेहै झोली पसारे हुए भर दो झोली मेरी सरकारे-मदीना भर दो झोली मेरी ताजदारे-मदीना लौटकर मैं न जाऊँगा खाली है मुखालिफ ज़माना किधर जाए हम हालते-बेकसी किसको दिखलाए हम हम तुम्हारे भिकारी है या मुस्तफा किसके आगे भला हाथ फैलाए हम भर दो झोली मेरी सरकारे-मदीना भर दो झोली मेरी ताजदारे-मदीना लौटकर मैं न जाऊँगा खाली कुछ नवासों का सदका अता हो दर पे आया हूँ बनकर सवाली हक से पायी वो शाने-करीमी मरहबा दोनों आलम के वाली उसकी किस्मत का चमका सितारा जिसपे नज़रें-करम तुमने डाली ज़िंदगी बख्श दी बंदगी को आबरू दीने-हक की बचा ली वो मुहम्मद का प्यारा नवासा जिसने सजदे में गर्दन कटा ली जो इब्ने-मुर्तजा ने किया काम खूब है कुर्बानी-ए-हुसैन का अंजाम खूब है कुर्बान हो के फ़ातेमा ज़हरा के चैन ने दीन-ए-खुदा की शान बढाई हुसैन ने बख्शी है जिसने मज़हब-ए-इस्लाम को हयात कितनी अज़ीम हज़रत-ए-शब्बीर की है ज़ात मैदान-ए-कर्बला में शहे-खुश खिसाल ने सजदे में सर कटा के मुहम्मद के लाल ने ज़िन्दगी बख्श दी बंदगी को आबरू दीन-ए-हक़ की बचा ली वो मुहम्मद का प्यारा नवासा जिसने सजदे में गर्दन कटा ली हश्र में उनको देखेंगे जिस दम उम्मती ये कहेंगे ख़ुशी से आ रहे है वो देखो मुहम्मद जिनके काँधे पे कम्बली है काली महशर के रोज़ पेश-ए-खुदा होंगे जिस घडी होगी गुनहगारों में किस दर्जा बेकली आते हुए नबी को जो देखेंगे उम्मती एक दुसरे से सब ये कहेंगे ख़ुशी ख़ुशी आ रहे है वो देखो मुहम्मद जिनके काँधे पे कम्बली है काली सर-ए-महशर गुनहगारों से पुर्सिश जिस घडी होगी यकीनन हर बशर को अपनी बख्शीस की पड़ी होगी सभी को आस उस दिन कम्बली वाले से लगी होगी कि ऐसे में मुहम्मद की सवारी आ रही होगी पुकारेगा ज़माना उस घडी दुःख दर्द के मारों न घबराओ गुनहगारों, न घबराओ गुनहगारों आ रहे है वो देखो मुहम्मद जिनके काँधे पे कम्बली है काली आशिक-ए-मुस्तफा की अज़ां में अल्ला-अल्लाह कितना असर था सच्चा ये वाकया है अज़ाने-बिलाल का एक दिन रसूले-पाक से लोगों ने यूँ कहा या मुस्तफा अज़ान ग़लत देते है बिलाल कहिये हुज़ूर आपका इस में है क्या खयाल फरमाया मुस्तफा ने ये सच है तो देखिये वक़्त-ए-सहर की आज अज़ां और कोई दे हज़रत बिलाल ने जो अज़ान-ए-सहर न दी कुदरत खुदा की देखो न मुतलक सहर हुई आये नबी के पास कुछ असहाब-ए-बासफा की अर्ज़ मुस्तफा से ऐ शाह-ए-अम्बिया है क्या सबब सहर न हुई आज मुस्तफा जिब्रील लाये ऐसे में पैगाम-ए-किब्लिया पहले तो मुस्तफा को अदब से किया सलाम बाद अस्सलाम उनको खुदा का दिया पयाम यूँ जिब्राइल ने कहा खैर-उल-अनाम से अल्लाह को है प्यार तुम्हारे गुलाम से फरमा रहा है आपसे ये रब्ब-ए-ज़ुल्जलाल होगी न सुबह देंगे न जबतक अज़ां बिलाल आशिके-मुस्तफा की अज़ान में अल्ला-अल्लाह कितना असर था अर्श वाले भी सुनते थे जिसको, क्या अज़ां थी अज़ान-ए-बिलाली काश, ‘पुरनम' दयार-ए-नबी में जीते जी हो बुलावा किसी दिन हाल-ए-ग़म मुस्तफा को सुनाऊं थाम कर उनके रौज़े की जाली भर दो झोली मेरी या मोहम्मद लौटकर मैं न जाऊँगा खाली ...शायर पुरनम अलाहाबादी. Qawwali: Bhar Do Jholi Meri Ya Muhammad Qawwal(Singers): Sabri Brothers Shah-E-Madina Suno Ilteja Khuda Ke Liye Karam Ho Mujh Pe Habeeb-E-Khuda Khuda Ke Liye Huzoor Ghuncha-E-Umeed Ab To Khil Jaye Tumhare Dar Ka Gada Hoon To Bheek Mil Jaaye Bhar Do Jholi Meri Ya Muhammad Laut Kar Main Na Jaunga Khali Tumhare Aastane Se Zamana Kya Nahi Pata Koi Bhi Dar Se Khaali Mangne Wala Nahi Jata Bhar Do Jholi Meri Sarkar-E-Madina Bhar Do Jholi Meri Tajdare-Madina Bhar Do Jholi... Tum Zamaane Ke Mukhtaar Ho Ya Nabi Bekason Ke Madadgaar Ho Ya Nabi Sab Ki Sunte Ho Apne Ho Ya Ghair Ho Tum Ghareebon Ke Gham-Khwaar Ho Nabi Bhar Do Jholi Meri Sarkar-E-Madina Bhar Do Jholi Meri Tajdare-Madina Bhar Do Jholi... Hum Hain Ranj-O-Musibat Ke Maare Hue Sakht Mushkil Mein Hai Gham Se Haare Hue Ya Nabi Kuchh Khudaara Humein Bheek Do Dar Pe Aaye Hain Jholi Pasaare Hue Bhar Do Jholi Meri Sarkar-E-Madina Bhar Do Jholi Meri Tajdare-Madina Bhar Do Jholi... Hai Mukhalif Zamana Kidhar Jayen Hum Haalat-E-Bekasi Kisko Dikhlaaye Hum Hum Tumhare Bhikari Hain Ya Mustafa Kiske Aage Bhalaa Haath Phailaayein Hum Bhar Do Jholi Meri Sarkar-E-Madina Bhar Do Jholi Meri Tajdare-Madina Bhar Do Jholi... |