सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायिका बेगम अख्तर और पसंद बाग | Gazal Singer Begum Akhtar and Psand Bagh | |
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#drchandertrikha शुद्घ उर्दू का उच्चारण करने वाली बेगम अख्तर दादरा और ठुमरी की साम्राज्ञी थीं । उनके गीतों-गजलों के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। लेकिन आज हम उनकी जिंदगी से जुड़े ऐसे रोचक पहलुओं के बारे में आपको बताएंगे जिनके बारे में पहले आपने नहीं सुना होगा । बेगम अख्तर के बचपन का नाम बिब्बी था। वो फैजाबाद के शादीशुदा वकील असगर हुसैन और तवायफ मुश्तरीबाई की बेटी थीं। असगर और मुश्तरी एक-दूसरे से प्यार करते थे। जिसके फलस्वरूप बिब्बी का जन्म हुआ । मुश्तरीबाई को जुड़वा बेटियां पैदा हुई थीं। चार साल की उम्र में दोनों बहनों ने जहरीली मिठाई खा ली थी। इसमें बिब्बी तो बच गईं लेकिन उनकी बहन का देहांत हो गया था। असगर ने भी मुश्तरी और बेटी बिब्बी को छोड़ दिया था जिसके बाद दोनों को अकेले ही जिंदगी में संघर्ष करना पड़ा। बिब्बी का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता था। एक बार शरारत में उन्होंने अपने मास्टरजी की चोटी काट दी थी। मामूली पढ़ाई के बावजूद उन्होंने उर्दू शायरी की अच्छी जानकारी हासिल कर ली थी। सात साल की उम्र से उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। वहीं मां मुश्तरी इसके लिए राजी नहीं थीं। उनकी तालीम का सफर शुरू हो चुका था। उन्होंने कई उस्तादों से संगीत की शिक्षा ली लेकिन ये सफर आसान नहीं था। अख्तरी बाई गायन के साथ अभिनय भी करती थीं। 1939 में उन्होंने फिल्म जगत से नाता तोड़ा और लखनऊ आकर रहने लगीं। यहां आकर उन्हें उनका प्यार मिला। 1945 में उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर बैरिस्टर इश्तियाक अहमद अब्बासी से शादी कर ली। तभी से उनका नाम बेगम अख्तर पड़ गया। पति के कहने पर उन्होंने गाना छोड़ दिया था। गाना छोड़कर शायद बेगम अख्तर ने अपनी जान को छोड़ दिया था, इसीलिए वो बीमार रहने लगीं। सिगरेट बहुत पीती थीं इसलिए उन्हें फेफड़े की बीमारी के साथ डिप्रेशन की समस्या हो गई। |