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नि:संतान माता-पिता के लिए #Surrogacy #IVF | बिना शादी के बच्चा | Surrogacy in India #healthpack

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बदलते ज़माने के साथ लोगों की सोच भी बदली है। वही सरोगेसी एक ऐसा वरदान है, उन महिलाओं के लिए जो माँ बनने के सुख से वंचित हैं।

आई वी एफ सरोगेसी को बाँझ दम्पत्ति अपनाकर माता-पिता का सुख पा सकते हैं। सरोगेसी की सुविधा वे महिलाएं ले सकती है, जो शारीरिक समस्या के कारण माँ नहीं बन सकती। ऐसे में दूसरी महिला के कोख को प्रयोग में लेने को सरोगेसी कहा जाता है।

सरोगेसी प्रक्रिया को करने वाली महिला सरोगेट मदर (Surrogate Mother) कहलाती है। सरोगेट मदर बनने का निर्णय पूर्ण रूप से महिला की इच्छा से होता है। किसी भी तरह की जबरदस्ती करके यह फ़ैसला नहीं करवाया जा सकता है। माता-पिता और सरोगेट माँ के बीच एक अनुबंध किया जाता है कि भ्रूण बनने के बाद से लेकर शिशु के जन्म तक की देख-रेख उनकी निगरानी में होगी। साथ ही बच्चे पर केवल माता-पिता का ही हक होगा। इस प्रक्रिया में माता-पिता को इंटेंडेड पेरेंट्स (Intended Parents) कहा जाता है और यह तीसरा प्रजनन पक्ष (Third Party Reproduction) कहलाता है।

सरोगेसी का कारण

जिन महिलाओं के गर्भाशय या अंडाशय में कोई समस्या होती है या किसी अन्य कारण से वह माँ बनने में असक्षम होती है, सरोगेसी के ज़रिए वह माँ बनने का सुख प्राप्त कर सकती है। सरोगेसी कई बार पुरुष के शुक्राणु की समस्या की वजह से भी करवाया जा सकता है।

सरोगेसी कितने प्रकार की होती है?
सरोगेसी दो तरह की होती हैं- ट्रेडिशनल सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी।

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