गौतम बुद्ध के अनमोल विचार | Bhagwan Buddha Ke Anmol vachyan | Goutam Buddha Bani | Anmol Vichar |
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गौतम बुद्ध के अनमोल विचार | Bhagwan Buddha Ke Anmol vachyan | Goutam Buddha Bani | anmol vichar
#goutambuddha #mantrasofsuccess #buddhabani #goutambuddhastory गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले जब कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो रास्ते में लुम्बिनी वन में हुआ। यह स्थान नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान है, वहां आता है। जहां एक लुम्बिनी नाम का वन था। उनका नाम सिद्धार्थ रखा गया। उनके पिता का नाम शुद्धोदन था। जन्म के सात दिन बाद ही मां का देहांत हो गया। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया।सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद् तो पढ़े ही, राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हांकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता।सिद्धार्थ के मन में बचपन से ही करुणा भरी थी। उनसे किसी भी प्राणी का दुख नहीं देखा जाता था। यह बात इन उदाहरणों से स्पष्ट भी होती है। घुड़दौड़ में जब घोड़े दौड़ते और उनके मुंह से झाग निकलने लगता तब सिद्धार्थ उन्हें थका जान कर वहीं रोक देते और जीती हुई बाजी हार जाते थे। खेल में भी सिद्धार्थ को खुद हार जाना पसंद था क्योंकि किसी को हराना और किसी का दुखी होना उनसे नहीं देखा जाता था। एक समय की बात है सिद्धार्थ को जंगल में किसी शिकारी द्वारा तीर से घायल किया हंस मिला। उन्होंने उसे उठाकर तीर निकाला, सहलाया और पानी पिलाया। उसी समय सिद्धार्थ का चचेरा भाई देवदत्त वहां आया और कहने लगा कि यह शिकार मेरा है, मुझे दे दो। सिद्धार्थ ने हंस देने से मना कर दिया और कहा कि- तुम तो इस हंस को मार रहे थे। मैंने इसे बचाया है। अब तुम्हीं बताओ कि इस पर मारने वाले का हक होना चाहिए कि बचाने वाले का? देवदत्त ने सिद्धार्थ के पिता राजा शुद्धोदन से इस बात की शिकायत की। शुद्धोदन ने सिद्धार्थ से कहा कि यह हंस तुम देवदत्त को क्यों नहीं दे देते? आखिर तीर तो उसी ने चलाया था?इस पर सिद्धार्थ ने कहा- पिताजी! यह तो बताइए कि आकाश में उड़ने वाले इस बेकसूर हंस पर तीर चलाने का उसे क्या अधिकार था? हंस ने देवदत्त का क्या बिगाड़ा था? फिर उसने तीर क्यों चलाया? क्यों इसे घायल किया? मुझसे इस प्राणी का दुख देखा नहीं गया। इसलिए मैंने तीर निकाल कर इसकी सेवा की। इसके प्राण बचाए। हक तो इस पर मेरा ही होना चाहिए। राजा शुद्धोदन को सिद्धार्थ की बात जंच गई। उन्होंने कहा कि ठीक है तुम्हारा कहना। मारने वाले से बचाने वाला ही बड़ा है। इस पर तुम्हारा ही हक है। शाक्य वंश में जन्मे सिद्धार्थ का 16 वर्ष की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ हुआ। राजा शुद्धोदन ने सिद्धार्थ के लिए भोग-विलास का भरपूर प्रबंध कर दिया। तीन ऋतुओं के लायक तीन सुंदर महल बनवा दिए। वहां पर नाच-गान और मनोरंजन की सारी सामग्री जुटा दी गई। दास-दासी उनकी सेवा में रख दिए गए। पर यह सब चीजें सिद्धार्थ को संसार से बांधकर नहीं रख सकीं Table Of Contents 1.gautam buddha quotes 2.gautam buddha 3.buddha quotes in hindi 4.buddha quotes 5.buddha 6.gautam buddha quotes in hindi 7.gautam buddha ki kahani 8.lord buddha 9.quotes in hindi 10.buddha quotes on life 11.hindi quotes 12.anmol vachan 13.गौतम बुद्ध के अनमोल विचार 14.lord gautam buddha quotes in hindi 15.lord buddha quotes 16.गौतम बुद्ध के 15 अनमोल विचार 17.bhagwan buddha 18.ek villager 19.buddha anmol vachan 20.buddha anmol vichar 21.mahatma buddha quotes in hindi 22.teaching of buddhism in hindi 23.gautam buddha status 24.life changing quotes in hindi 25.buddha status 26.buddha thoughts 27.buddha vichar 28.teachings of mahatma buddha in hindi 29.gautam buddha ke anmol vachan 30.buddha vichar short video 31.buddha ke anmol vachan 32.buddha ke anmol vichar 33.best quotes from buddha 34.about gautam buddha 35.teachings of gautam buddha in hindi 36.gautam buddha thoughts 37.bhagwan buddha ke anmol vachan 38.hindi quotes of buddha 39.gautam buddha ke anmol vichar 40.mahatma buddha 41.buddha biography 42.budha quotes 43.anmol vichar 44.maine royaan buddha quotes 45.self help hindi 46.gautam buddha quotes for success 47.goutam buddha bani 48.buddha quotes on positive thinking 49.gautam buddha hindi 50.budhha quotes in hindi 51.buddha motivational speech 52.siddharth story in hindi 53.buddha quotes on love |