स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय एवम अनमोल वचन | Swami Vivekanand Biography & Slogans in hindi |
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भारत देश में जन्मे एक मठवासी संत, जिन्होंने अपने छोटे – से जीवनकाल में अपने कार्यों के कारण प्रसिद्धि प्राप्त की और केवल देश ही नहीं, विदेशों में भी उनके ज्ञान और मंतव्यों का लोहा माना गया, ऐसे महापुरुष थे –“स्वामी विवेकानंद
खेत्री के महाराज अजित सिंह स्वामी जी की माताजी को गुप्त रूप से निरंतरत 100 रु भेजते रहते थे ताकि वे आर्थिक संकटों से निपट सकें. 12. स्वामी जी अपनी माँ से बहुत प्रेम करते थे और जीवनपर्यंत उनकी पूजा करते रहे. 13. स्वमी जी जब नरेन्द्र से सन्यासी बने तो पहले उनका नाम स्वामी विविदिशानंद था पर शिकागो जाने से पहले उन्होंने अपना नाम विवेकानंद कर लिया. 14. स्वामी जी के मठ में कोई भी महिला प्रवेश नहीं कर सकती थी, यहाँ तक कि उनकी माताजी भी नहीं. एक बार जब एक शिष्य उनकी माताजी को आदरपूर्वक अन्दर ले आया तो स्वामी जी बहुत क्रोधित हो गए थे और कहा था- ” मैंने नियम बनाया और अब मेरे लिए ही ये नियम तोडा जा रहा है.” 15. स्वामी विवेकानंद चाय के शौक़ीन थे उस समय की मान्यताओं के विरुद्ध उन्होंने अपने मठ में चाय पीना allow कर रखा था. ज़रूर पढ़ें: स्वामी विवेकानंद के जीवन के 3 प्रेरक प्रसंग 16. एक बार उन्होंने बाल गंगाधर तिलक से सभी के लिए मुगलई चाय बनवाई थी. 17. स्वामी जी को खिचड़ी खाना बहुत पसंद था. 18. स्वामी जी ज़रूरतमंदों की सेवा करने में इतना तल्लीन रहते थे कि वे अपनी सेहत पर ध्यान ही नहीं देते थे. अपने 39 साल के अल्प जीवन में उन्होंने लगभग 31 बीमारियों का सामना किया जिसमे – डायबिटीज, अस्थमा, liver and kidney डिजीज व कई अन्य बीमारियाँ शामिल हैं. 19. स्वामी जी लाइब्रेरी से ढेर सारी किताबें ले जाते और अगले दिन ही उन्हें वापस कर देते. इस पर एक बार लाइब्रेरियन ने उनसे किसी किताब से उठा कर कुछ पूछ लिया जो स्वामी जी ने आसानी से बता दिया और लाइब्रेरियन चकित रह गया. 20. स्वामी जी हमेशा कहा करते थे कि वे 40 की उम्र से अधिक नहीं जियेंगे और सचमुच वे 39 साल की उम्र में स्वर्ग सिधार गए. |