मौत के साये में ग़ज़ा से रिपोर्टिंग | Israel-Gaza Saga: The Journalists |
|
पत्रकारिता के पेशे में युद्ध कवर करने वाले पत्रकारों का अनुभव बहुत अलग होता है, उनकी श्रेणी अलग होती है मगर ग़ज़ा के भीतर रह कर कवर करने वाले फलस्तीनी पत्रकारों की मिसाल दुनिया में नहीं मिलेगी। वे युद्ध को कवर करने किसी दूसरे देश की सीमा पर नहीं गए या ले जाए गए बल्कि युद्ध उनके घरों में आ गया। उनकी छतों पर बम बरसने लगा। उन्हें पता है कि ग़ज़ा मेें छिपने की जगह नहीं है, ग़ज़ा से भागने की जगह नहीं है और ग़ज़ा में होने का मतलब है मौत। हेल्मेट और बुलेटप्रूफ जैकेट किसी काम के नहीं है। उनहें यह सब पता है फिर भी अभी तक ग़ज़ा से रिपोर्टिंग बंद नहीं की है। उनके कई साथी मारे गए, तब भी रिपोर्टिंग जारी है। इन पत्रकारों ने साहस और संसाधन की हर चुनौती को छोटा साबित कर दिया। एक अदद ख़बर के लिए अपनी जान दे रहे हैं। उनका ब्यौरा उस देश के पाठकों के बीच कैसे बताया जाए जहां मोदी मोदी करते हुए पत्रकार,संपादक और चैनलों के मालिक शान से गोदी हो गए। फलस्तीन के पत्रकारों को भी भोजन नहीं मिल रहा होगा, पानी नहीं मिल रहा होगा औऱ सैलरी भी नहीं, तब भी वे रिपोर्ट कर रहे हैं और काम के बीच में मौत के भी शिकार हो रहे हैं। ग़ज़ा के पत्रकार बोल रहे हैं कि पत्रकारों को जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है।
Join this channel to get access to perks: https://www.youtube.com/channel/UC0yXUUIaPVAqZLgRjvtMftw/join Disclaimer: The owners reserve the right to any corrections that may be needed to be made to the translated subtitles. Please write to us in the comments in case of any errors. #gaza #journalist #palestine #israel #media #coverage #aljazeera #unitednations #groundreport #ravishkumar |