एक दम सरल भाषा में जानिए क्या है CRR SLR | Repo Rate in Hindi | RBI Monetary Policy | MSF | Bank |
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एक दम सरल भाषा में जानिए क्या है CRR SLR | Repo Rate in Hindi | RBI Monetary Policy | MSF | Bank | Full Form
नमस्कार, आप देख रहे हैं देश रोजाना मैं हूं स्मिथा सिंह,,, अभी कुछ दिन पहले मैंने आपको रैपो रेट और रिवर्स रैपो रेट के बारे में बताया था, ठीक उसी तरह दो और शॉर्ट फॉर्म हैं, जो सुनी जाती हैं,, CRR और SLR,,,, क्या आप जानते हैं इनकी फुलफॉर्म क्या है., उनका मतलब क्या है और हमारे लिए इन्हें जानना क्यों जरूरी है,,, अगर नहीं जानते, तो वीडियो को पूरा देखें, पसंद आए तो लाइक और यारों दोस्तों, अपनों के साथ शेयर भी करते जाएं, चैनल सब्सक्राइब नहीं किया है, तो सब्सक्राइब भी कर लें, ताकि ऐसी ही इनफॉर्मेटिव वीडियोज आपको टाइम टू टाइम देखने को मिलती रहें। CRR का मतलब होता है Cash Reserve Ratio.... यानि नकद आरक्षित अनुपात., ये होता क्या है,,, वो भी जानिए,,, भारत में काम कर रहे तमाम बैंको के लिए रिजर्व बैंक द्वारा कुछ रूल्य, नियम बनाए गए हैं, जिनके मुताबिक हरेक बैंक को अपने टोटल कैश रिजर्व का, fixed share यानि निश्चित हिस्सा, रिजर्व बैंक के पास रखना होता है, इसी fixed share को CRR यानि कैश रिजर्व रेश्यो या कहिए नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है। अब अगला सवाल होगा कि हमें इसे जानने की क्या जरूरत,,, तो जरूरत है,, इसलिए क्योंकि इसका बढ़ना, घटना भी अपने को इपेक्ट करता है, कैसे,,, वो भी समझिए। बैंको के पास जमा रकम बढ़ती है, कैश रिजर्व बढ़ता है, तो जाहिर तौर पर fixed share भी बढ़ेगा,,, बैंकों को एक बड़ा अमाउंट, रिजर्व बैंक के पास रखना पड़ेगा, तो बैंको के पास आम आदमी को लोन देने के लिए राशि कम रह जाएगी। अब रिजर्व बैंकं fixed share यानि CRR घटाता है तो बाजार में कैश फ्लो, नकदी का प्रवाह बढ़ जाता है, ऐसे में आरबीआई, सीआरआऱ में तभी कोई बदलवा करता है, जब उसे लगे कि बाजार की कैश लिक्विडिटी जल्द प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि सीआरआर के बदलावों से बाजार में कैश availabilityपर ज्यादा वक्त में असर पड़ता है एज कंपेर टू रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव के। यानि सीधा सीधा समझें तो बैंकिग सिस्टम में लिक्विडिटी अमाउंट को कंट्रोल करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, जिस यूजफुल टूल का इस्तेमाल करती है, उसे Cash Reserve Ratio यानि CRR कहा जाता है। और बाजार में कैश के घटने बढ़ने, बहाव में सामंजस्य बनाए रखने में इसका अहम रोल है। आरबीआई इस टूल की मदद से ही बैंक लिक्विडिटी और बैंको के फनेंशियल हेल्थ को बनाए रखने के साथ साथ रेपो रेट तय करने में भी सहज हो पाता है। अभी जो मैंने तीन चार बार लिक्विडिटी शब्द का इस्तेमाल किया , जिसका मतलब होता है तरलता,,,, लिक्विडटी शब्द का मतलब यहां मैं और आसान करके कहूं तो किसी भी चीज का मार्केटेबल पोटेंशियल यानि वो चीज कितने रूपये की क्षमता वाली है,,, उसे लिक्विडिटी यानि तरलता कहते हैं,,, जैसे जेवर हुए जमीन हुई,, शेयर हुए,,, इनकी रुपयों के हिसाब से क्या वेल्यू निकलती है, उसे तरलता यानि लिक्विडिटी कहा जाता है। अब आगे आपको लिक्विडिटी शब्द समझने में दिक्कत नहीं होगी। अगला है SLR यानि Statutory Liquidity Ratio, स्टेचुअरी लिक्विडिटी रेश्यो या वैधानिक तरलता अनुपात,,,, इंडियन इकोनॉमी और मार्केट लिक्विडिटी को कंट्रोल करने के लिए रिजर्व बैंक जिन टूल्स को यूज करता है उन्हीं में एक है SLR यानि Statutory Liquidity Ratio,,, ये होता क्या है,,,, बैंको के पास उपलब्ध जमा का वो हिस्सा, जो उन्हें अपनी जमा रकम पर, लोन जारी करने से पहले, अपने पास रखना जरूरी होता है, ये किसी भी रूप में हो सकता है,, कैश हो सकता है,, गोल्ड रिजर्व्स या government approved securities,,, किसी भी रूप में हो सकता है। जब बैंक इस रेश्यो को सेफ रख पाते हैं, तभी उन्हें लोन इशुएंस यानि कर्ज जारी करने की परमिशन होती है, और कुल जमा पर, स्टेचुअरी लिक्विडिटी रेश्यो क्या रहेगा, ये तय करता है रिजर्व बैंक। अपने देश में ये मैक्सिमम 40 परसेंट है, वैसे रिजर्व बैंक के पास ये राइट है कि वो बैंको के लिए SLR को जीरो परसेंट भी कर सकता है। ये तो हुई बैंकों की बात,, SLR आम आदमी को कैसे प्रभावित करता है,,, जैसा मैने अभी बताया कि जमा रकम पर, लोन जारी करने से पहले, बैंकों को एक हिस्सा SLR के रूप में सेफ रखना होता है, यानि SLR बैंको द्वारा लोन देने की कैपिसिटी को कंट्रोल करके रखता है, और ये रकम खास तौर पर तब काम आती है, जब कोई बैंक दिवालिया वाली कंडीशन में आ जाता है, उस वक्त रिजर्व बैंक इसी SLR से ,, जितना संभव हो, ग्राहकों के पैसे की भरपाई कर पाता है। बैंको की भाषा में और भी कई ऐसे शॉर्ट फॉर्म्स होते हैं,,,, जो हमारे लिए जानने समझने जरूरी होते हैं,,, हम बरसों उन्हें बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं,,, उनके बलपर बैंकों से लेनदेन चलता रहा है,,, लेकिन उनके मायने, उनका खुद की जेब ,,, बचत खाते,,,, ब्याज की रकम पर असर,,,, ये सब हम समझने की कोशिश नहीं करते,,, या कहिए कई बार समझ नहीं पाते.. ऐसे में जरूरी है तसल्ली से आसान शब्दों में इन्हें समझना... क्योंकि किसी ज्ञानी ने कहा है ज्ञान कहीं से भी मिले, बटोर लेना चाहिए,,,, तो बटोरते रहिए, आसान भाषा में ऐसा जरूरी ज्ञान... देश रोजाना के साथ.... वीडियो पसंद आएं तो मुफ्त के लाइक शेयर करते जाइये... और हां, सबस्क्रिप्शन भी फ्री है... तो चैनल को तुरंत सब्सक्राइब भी करें... ताकि आप सदा हमसे जुड़े रहें.... नमस्कार। |